Risks to Indian Share market: दिवाली के करीब आते ही निवेशकों में उत्साह साफ झलक रहा है, हालांकि थोड़ी सावधानी भी बरती जा रही है। उम्मीद है कि त्योहारी सीजन में बाजारों में तेजी देखने को मिलेगी। पिछले एक साल में, NSE निफ्टी 50 में 28 प्रतिशत की तेजी। हालांकि, सितंबर के अंत में शिखर पर पहुंचने के बाद, निफ्टी करीब 7 प्रतिशत लुढ़क गया है। ऊंचे वैल्यूएशन से जुड़ी चिंताएं, भू-राजनीतिक जोखिम और उम्मीद से कम नतीजों ने मार्केट सेंटीमेंट को कमजोर कर दिया है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह त्योहार भले ही बाजार को थोड़ी बढ़त दे, लेकिन अगले एक साल में भारतीय शेयरों के लिए कई चुनौतियां सामने हो सकती हैं। इसमें हाई वैल्यूएशन, धीमी आर्थिक ग्रोथ और ब्याज दर से जुड़े जोखिम शामिल हैं।
1. धीमी ग्रोथ के बीच हाई वैल्यूएशन का खतरा
DSP म्यूचुअल फंड के सहिल कपूर और चोला सिक्योरिटीज के धर्मेश कांत ने भारतीय शेयरों के ऊंचे वैल्यूएशन पर चिंता जताई है। कपूर ने कहा कि फिलहाल सुरक्षा का कोई मार्जिन नहीं है, जबकि कांत ने निफ्टी के P/E रेशियो को एक चिंता का कारण बताया है। उन्होंने कहा कि निफ्टी 50 कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ रेट, जो पहले 15-16% अनुमानित थी, अब 10-11% रहने की संभावना है। इस सप्ताह, गोल्डमैन सैक्स ने भारतीय शेयरों को ‘ओवरवेट’ से ‘न्यूट्रल’ कर दिया है और अगले तीन से छह महीनों में ‘टाइम करेक्शन’ की उम्मीद जताई है।
2. अर्निंग्स ग्रोथ से जुड़ी चुनौतियां
कई मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि कमाई में कमजोरी जारी रह सकती है। मोतीलाल ओसवाल म्यूचुअल फंड के निकेत शाह ने कहा कि Q2 के नतीजे उम्मीद से कमजोर हो सकते हैं। सहिल कपूर और धर्मेश कांत का मानना है कि बढ़ते कमोडिटी मूल्यों से मार्जिन पर असर पड़ा है और तीसरी और चौथी तिमाही में भी अर्निंग्स में गिरावट आ सकती है।
3. सितंबर तिमाही में मिला-जुला प्रदर्शन
भारतीय कॉरपोरेट जगत की आय में सितंबर तिमाही के दौरान मिला-जुला प्रदर्शन देखा गया। अधिकतर कंपनियों के रेवेन्यू और प्रॉफिट में सीमित ग्रोथ देखने को मिली और मार्जिन पर दबाव बना हुआ है। कंज्यूमर्स सेक्टर्स में मांग में कमी और बढ़ी लागत का दबाव बना हुआ है। HDFC बैंक ने अच्छी कमाई की, जबकि एक्सिस बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक ने औसत प्रदर्शन किया। FMCG सेक्टर्स में हिंदुस्तान यूनिलीवर ने ग्रामीण इलाकों में कमजोर मांग का हवाला दिया। मोतीलाल ओसवाल ने एक हालिया नोट में कहा कि निफ्टी 50 शेयरों के लिए 2 प्रतिशत की धीमी अर्निंग ग्रोथ पर चिंता जताई और कहा कि ये उम्मीद से काफी कम है।
4. आरबीआई और ब्याज दर से जुड़े जोखिम
भारतीय शेयरों के लिए एक बड़ा जोखिम आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी है। सहिल कपूर का मानना है कि खाने-पीने से जुड़ी चीजों की महंगाई के बढ़ते दबाव के कारण आरबीआई दरों में कटौती को लेकर सावधान है। कपूर ने कहा कि “भारत में फूड इंफ्लेशन लगभग 20 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है, जो काफी ऊंची है।”
5. वित्तीय और वैश्विक मैक्रो जोखिम
एक और बड़ा जोखिम राजकोषीय सख्ती से आता है। कपूर ने कहा कि भारत सरकार और कॉरपोरेट सेक्टर दोनों ही कर्ज कम कर रहे हैं, जिसके चलते ग्रोथ धीमा हो सकता है। उन्होंने कहा, “भारत में, कॉरपोरेट सेक्टर भी कर्ज कम कर रहा है, नया लोन लेने के बजाय अधिक लोन चुका रहा है।”
वहीं ग्लोबल स्तर पर, अमेरिका का राजकोषीय माहौल भी जोखिम पैदा कर सकता है, खासकर जब जनवरी 2025 में डेट सीलिंग का सस्पेंशन समाप्त होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका में खर्च कम होता है, तो इसका असर ग्लोबल बाजारों पर, खासकर भारत पर पड़ सकता है।
6. सेक्टर्स से जुड़े जोखिम
एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऑटो और आईटी जैसे सेक्टर्स में ऊंचे वैल्यूएशन और मांग में कमी के कारण अधिक जोखिम बताया है। वहीं, निकेत शाह ने तार और केबल और टेलीकॉम सेक्टर्स में संभावनाओं को लेकर पॉजिटिव रुख बनाए रखा है।
7. भूराजनीतिक और बाहरी जोखिम
अमेरिकी चुनाव और ब्रिक्स देशों की नीति भी बाजारों पर असर डाल सकती हैं। धर्मेश कांत ने कहा कि अगर डोनाल्ड ट्रंप फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति बनते हैं तो उनकी संरक्षणवादी नीतियों के चलते भारत के एक्सपोर्ट्स-आधारित सेक्टर्स को नुकसान हो सकता है।