भारत मनी लांड्रिंग और आतंकी फंडिंग को रोकने के लिए कड़े प्रबंध कर रहा है। इस कड़ी में अब क्रेडिट कार्ड के जरिए होने वाले इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन पर निगरानी बढ़ाने की तैयारी हो रही है। भारत फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स में शामिल देशों के साथ मिलकर क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन को रियल टाइम निगरानी में लाना चाहता है, जिससे कि लेनदेन होने की दिशा में तत्काल पता लगाया जा सके कि पैसा किसके खाते से कटा है और किस व्यक्ति या संस्था के खाते में गया है।
सूत्रों का कहना है, भारत चाहता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रेडिट कार्ड के जरिए भुगतान करने वाले और उसे प्राप्त करने वाले की पहचान मांगे जाने पर तत्काल उपलब्ध कराई जाए। अगर कोई संदिग्ध लेनदेन किया जा रहा है, तो उसकी रियल टाइम रिपोर्टिंग हो। संभावना जताई जा रही है कि एफएटीएफ के माध्यम से इस नियम को जल्द लागू किया जाएगा। ध्यान रहे कि मास्टर कार्ड, अमेरिकन एक्सप्रेसवे समेत कई गेटवे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रेडिट कार्ड के जरिए अपने ग्राहकों को लेनदेन की इजाजत देते हैं। ग्राहक क्रेडिट कार्ड के जरिए दूसरे देशों में जाकर किसी भी स्टोर से खरीदारी कर सकते हैं।
मनी लॉन्ड्रिंग पर नकेल कसी
एफएटीएफ के मूल्यांकन में 40 से अधिक सिफारिशों के तकनीकी अनुपालन और 11 तात्कालिक परिणामों को प्रभावशीलता का आंकलन किया जाता है, जिसमें मनी लांड्रिंग और आंतकी फंडिंग से उत्पन्न जोखिम को कम करने में भारत के प्रयास काफी प्रभावशाली रहे हैं। भारत ने मनी लांड्रिंग पर लगाम लगाकर भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और संगठित अपराध पर नकेल कसने का काम किया है।
19 सितंबर को जारी की जाएगी रिपोर्ट
एफएटीएफ 19 सितंबर को भारत पर अपनी पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट जारी करेगा। संभावना है कि भारत को इस बार भी बेहतर रैंकिंग मिलेगी। भारत एफएटीएफ द्वारा निर्धारित मापदंडों का नियमित तौर पर पालन करता आ रहा है। इसलिए नियमित अनुवर्ती श्रेणी में शामिल होने से आर्थिक रूप से स्थिर और सुरक्षित राष्ट्र के रूप से भारत की विश्वनीयता और प्रतिष्ठा में सुधार हुआ है।