Explore

Search

October 16, 2025 11:45 am

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को क्यों लगाई कड़ी फटकार…….‘सीएम कोई राजा नहीं’

WhatsApp
Facebook
Twitter
Email

Supreme Court on Uttarakhand Appointment: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को कड़ी फटकार लगाई है. यह फटकार सीएम की ओर से राज्य के वन मंत्री और अन्य की राय की अनदेखी करते हुए एक विवादास्पद आईएफएस अधिकारी को राजाजी टाइगर रिजर्व का निदेशक नियुक्त करने के कदम पर लगाई गई है. न्यायमूर्ति बीआर गवई, पीके मिश्रा और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि सरकार के प्रमुखों से पुराने दिनों के राजा होने की उम्मीद नहीं की जा सकती और हम सामंती युग में नहीं हैं.

हालांकि, राज्य सरकार ने पीठ को बताया कि नियुक्ति आदेश 3 सितंबर को वापस ले लिया गया था. इस पर न्यायाधीशों ने कहा, “इस देश में सार्वजनिक विश्वास सिद्धांत जैसा कुछ है. कार्यपालिका के प्रमुखों से पुराने दिनों के राजा होने की उम्मीद नहीं की जा सकती कि उन्होंने जो कहा है, वही करेंगे… हम सामंती युग में नहीं हैं… सिर्फ इसलिए कि वह मुख्यमंत्री हैं, क्या वह कुछ कर सकते हैं?”

Weekend Sleep For Heart: नई रिसर्च में खुलासा…….’दिल की बीमारियां दूर करती है वीकेंड की नींद…..

सरकार ने कहा- अफसर को निशाना बनाया जा रहा है

पीठ ने यह भी सवाल किया कि मुख्यमंत्री को अधिकारी से विशेष लगाव क्यों है, यह देखते हुए कि उनके (वरिष्ठ भारतीय वन सेवा अधिकारी राहुल ) खिलाफ विभागीय कार्रवाई लंबित है. राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता एएनएस नादकर्णी ने कहा कि अधिकारी को निशाना बनाया जा रहा है. वहीं इस बात की ओर ध्यान दिलाते हुए कि नोटिंग में कहा गया था कि अधिकारी को राजाजी टाइगर रिजर्व में तैनात नहीं किया जाना चाहिए, अदालत ने कहा कि मुख्यमंत्री “बस इसे अनदेखा कर रहे हैं.”

कई सीनियर अफसरों ने नियुक्ति पर जताई थी आपत्ति

दरअसल, भारतीय वन सेवा के अधिकारी राहुल, जो कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पूर्व निदेशक हैं, की राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक के रूप में नियुक्ति को वरिष्ठ अधिकारियों ने गलत बताया था. अदालत ने पाया कि इसका उप सचिव, प्रमुख सचिव और राज्य के वन मंत्री ने भी समर्थन किया था. इसके बाद भी यह तैनाती की गई. अदालत ने कहा, “यदि डेस्क अधिकारी, उप सचिव, प्रमुख सचिव, मंत्री से असहमत हैं, तो कम से कम यह तो अपेक्षित ही है कि आप इस बात पर कुछ विचार करें कि ये लोग प्रस्ताव से असहमत क्यों हैं.”

‘यदि अधिकारी अच्छा तो विभागीय कार्रवाई क्यों हो रही है’

इस पर वकील नादकर्णी ने दलील देते हुए कहा, “आप एक अच्छे अधिकारी की बलि नहीं चढ़ा सकते, जिसके खिलाफ कुछ भी नहीं है.” इस पर अदालत ने पूछा, “यदि कुछ भी नहीं है, तो आप उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई क्यों कर रहे हैं?” न्यायाधीशों ने कहा कि जब तक प्रथम दृष्टया कोई साक्ष्य उपलब्ध न हो, किसी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू नहीं की जा सकती.

Seema Reporter
Author: Seema Reporter

ताजा खबरों के लिए एक क्लिक पर ज्वाइन करे व्हाट्सएप ग्रुप

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर