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November 23, 2024 12:23 am

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JDA में रिश्वत का बड़ा खुलासा: 6 अधिकारी और 1 दलाल शामिल, पीड़ित ने 10 महीने की परेशानियों का किया खुलासा, जाने पूरा खेल…..

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जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) ऑफिस के घूसखोर तहसीलदार तहसीलदार लक्ष्मीकांत गुप्ता, जेईएन, पटवारी समेत 6 अधिकारियों और 1 दलाल के रिश्वत लेने के मामले में पीड़ित ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। पीड़ित ने बताया कि अधिकारी 10 महीने से उसे परेशान कर रहे थे। फाइल आगे बढ़ाने के लिए हर किसी का पैसा तय था। रिश्वत में ये तय रकम मिलने के बाद ही फाइल आगे बढ़ाई जाती थी।

पीड़ित ने एसीबी को बताया कि अधिकारी सिस्टम फॉलो करने पर काम होने की गारंटी देते थे। गिरदावर विमला ने पीड़ित से कहा था कि सिस्टम फॉलो करना होगा। ऊपर से नीचे सभी अधिकारी-कर्मचारियों को पैसा देना होगा। काम हो जाएगा। मैं जिम्मेदारी लेती हूं। मामले में सबूत के तौर पर एसीबी के पास पीड़ित और आरोपियों की कई ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग हैं।

शिविर के चक्कर लगाए, लेकिन फाइल आगे नहीं बढ़ी

पीड़ित ने 21 सितंबर 2023 को ऑनलाइन खोह नागोरियान इलाके में जमीन को 90 बी (कृषि भूमि को अकृषि भूमि में करवाना) कराने के लिए आवेदन किया था। 90 बी कराने के लिए परिवादी ने 1 लाख 13 हजार 71 रुपए जेडीए में जमा करवा दिए, लेकिन काम नहीं हुआ। जेडीए द्वारा लगाए जा रहे शिविर में भी पीड़ित ने कई चक्कर लगाए। लेकिन फाइल नहीं पहुंची। जब फाइल आगे नहीं बढ़ी तो पीड़ित जेडीए पहुंचा।

अब पढ़िए के जेडीए पहुंचने के बाद क्या क्या हुआ…

1 जुलाई 2024- पीड़ित जेडीए के जोन-9 में पहुंचा। सबसे पहले उसे गिरदावर विमला मिली। पीड़ित ने उसे समस्या बताई। विमला ने कहा- काम हो जाएगा, 5 लाख रुपए लगेंगे। पीड़ित को यह बात अटपटी लगी ओर वह लौट आया।

4 जुलाई- पीड़ित एसीबी मुख्यालय पहुंचा। लिखित में अपनी एक शिकायत एसीबी के अधिकारियों को दी। इसके बाद एसीबी ने ट्रैप का पूरा प्लान बनाया।

10 जुलाई- शिकायत का सत्यापन कराया गया। शिकायत की पुष्टि होने के बाद एसीबी ने परिवादी के साथ जेडीए में अपना एक कर्मचारी भेजा। उसने परिवादी से अधिकारियों द्वारा मांगी जा रही राशि की पूरी जानकारी रिकॉर्ड की।

10 जुलाई- पीड़ित फिर जेडीए- जोन 9 पहुंचा। यहां पर गिरदावर विमला मिली। विमला ने कहा- 5 लाख रुपए रूपांतरण के लगेंगे। जो पैसा आप दोगे, उसमें से मैं केवल 50 हजार रुपए लूंगी। बाकी का पैसा जोन-9 के डीसी, तहसीलदार, जेईएन, डीटीपी और अन्य कर्मचारियों के पास जाएगा। विमला ने परिवादी को कहा- यह पैसा तुम्हें देना ही होगा। इस पैसे के बिना तुम्हारा काम नहीं हो सकता है।

(परिवादी के साथ गए एसीबी के कर्मचारी ने यह सभी बातें रिकॉर्ड की और जेडीए से निकल गए।)

12 जुलाई- विमला ने पीड़ित को फोन करके जेडीए मुख्यालय बुलाया। विमला ने खुद के फोन के मैसेज बॉक्स में 5 लाख लिखकर इशारा से पूछा- क्या हुआ इसका? इस पर परिवादी ने कहा- व्यवस्था कर रहा हूं। टाइम लगेगा।

19 जुलाई- दोबारा से विमला ने फोन कर पीड़ित को जेडीए बुलाया। पीड़ित ने इस दौरान भी पैसे की व्यवस्था करने की बात की।

विमला का जोन बदला तो नई गिरदावर रुक्मणी से पीड़ित को मिलवाया

22 जुलाई- विमला ने पीड़ित को फोन कर जेडीए बुलाया। इस दौरान विमला ने गिरदावर रुक्मणी से मिलवाया। विमला ने परिवादी को बताया कि- मेरा तबादला जोन-1 में हो गया है। मैंने सारी जानकारी रुक्मणी को बता दी है। इसके बाद रुक्मणी ने परिवादी को कहा- उसे 1 लाख रुपए चाहिए।

इसमें 50 हजार रुपए वह रखेगी। 50 हजार रुपए पटवारी श्रीराम शर्मा रखेगा। रुक्मणी ने इस दौरान पोर्टल पर काम करने वाली किरण के लिए 2 हजार रुपए परिवादी से दिलवाए। इसके बाद रुक्मणी ने जेईएन खेमराज मीणा से परिवादी से मिलाया। खेमराज ने कहा- वह फोन करके उसकी जमीन पर उसे बुला लेगा।

25 जुलाई- दोपहर 3.48 बजे जेईएन खेमराज मीणा ने फोन कर कहा कि कल साइट पर पहुंच जाना।

जेईएन ने 40 हजार रुपए मांगे

26 जुलाई- पीड़ित एसीबी के कर्मचारी के साथ जेडीए पहुंचा। जेईएन से मिला। जेईएन ने परिवादी से कहा- उसे 40 हजार रुपए चाहिए। वह काम कर देगा।

30 जुलाई- पीड़ित दोबारा जेडीए गया। यहां पर रुक्मणी, तहसीलदार लक्ष्मीकांत गुप्ता, विमला से मिला। लक्ष्मीकांत ने इस दौरान एक लाख रुपए की डिमांड की। फिर वह 50 हजार रुपए में राजी हो गया।

विमला बोली- दलाल रख लो

30 जुलाई- गिरदावर विमला ने फोन कर पीड़ित को जगतपुरा पुलिया के नीचे बुलाया। कहा- तुम एक लाइजनर (दलाल) रख लो बीच में। नहीं तो ये लोग तुमसे बहुत पैसा खींच लेंगे। इस पर परिवादी ने आनाकानी की। विमला ने दबाव डालकर लाइजनर रखने के लिए कहा।

31 जुलाई- गिरदावर विमला ने परिवादी को जेडीए कार्यालय में बुलाया। पटवारी श्रीराम के लिए कहा कि वह उसे डीसी से मिला सकता है।

1 अगस्त 2024- दोपहर 3.05 बजे परिवादी डीसी जोन -9 के पास पटवारी श्रीराम का नाम लेकर पहुंचा। यहां पर डीसी ने फाइल पर बात की। पैसे की डिमांड नहीं की।

विमला ने पीड़ित को दलाल का नंबर दिया

2 अगस्त- 11.30 बजे परिवादी जेडीए कार्यालय गया। यहां पर श्रीराम ने परिवादी ने 10 हजार रुपए मांगे। गिरदावर विमला ने पीड़ित के नंबर पर फोन कर कहा कि एक नम्बर भेजा है। इस का नाम महेश मीणा (दलाल) है। यह सब कुछ जानता है। तुम इसे फोन करके मिल लो। यह जल्द पूरा काम करवा देगा।

3 अगस्त- दलाल महेश मीणा ने फोन कर परिवादी को जेडीए के पास बुलाया। कहा- मैंने फाइल देख ली है। 13 लाख 20 हजार रुपए में काम होगा। मेरी सभी से बात हो चुकी है। आप बिना परेशानी के घर पर आराम करो। मैं पट्टा लेकर दूंगा।

दलाल बोला- आपका काम हो चुका

22 अगस्त- महेश मीणा ने पीड़ित को फोन किया। महेश मीणा ने कहा- आपका काम हो चुका है। पैसा लेकर आ जाओ। पैसा सभी के पास देना है। दोपहर 4.25 बजे गिरदावर विमला को फोन आया। परिवादी को दोबारा से जेडीए बुलाया और पैसों को लेकर दोबारा बात की गई। रात साढ़े 8 बजे गिरदावर रुक्मणी का फोन पीड़ित के पास आया। कहा- गिरदावर रविकांत शर्मा को भी पैसा देना होगा। वही अब नए गिरदावर हैं।

क्या है मामला

लैंड (भूमि) कंवर्जन के काम को लेकर पीड़ित से सितंबर 2023 से रुपए की मांग की जा रही थी। पीड़ित ने जोन नंबर-9 के तहसीलदार, जेईएन, पटवारी, गिरदावर से कई बार मुलाकात कर काम करने की गुजारिश की थी। इसके बाद भी रुपए की मांग कर उसे लगातार परेशान किया जा रहा था। इस दौरान पटवारी विमला मीणा के पति महेश (दलाल) ने काम कराने के लिए 12 से 13 लाख रुपए की डिमांड रखी थी। कई बार बात करने के बाद 1.50 लाख रुपए में डील तय हुई थी।

23 अगस्त को इस तरह से बंटा रिश्वत का पैसा जेडीए के घूसखोरों में

23 अगस्त को पीड़ित पैसा और एसीबी की टीम को लेकर जेडीए पहुंचा। परिवादी ने सबसे पहले जोन-9 के तहसीलदार लक्ष्मीकांत शर्मा को उनके कमरा नम्बर 302 में 50 हजार रुपए दिए। इसे तहसीलदार ने दूसरे दराज में रख लिया। फिर परिवादी श्रीराम पटवारी के पास पहुंचा। पटवारी उसे चाय की दुकान पर ले गया। 20 हजार रुपए ले लिए। इसके बाद परिवादी जेईएन खेमचंद के पास गया।

खेमचंद ने एक अन्य व्यक्ति अभय के साथ उसे भेजा।अभय ने सीढियों में परिवादी से 40 हजार रुपए ले लिए। इस के बाद पीड़ित गिरदावर रुक्मणी के पास पहुंचा। रुकमणी उसे लेकर दूसरे फ्लोर पर गई। यहां पर रुकमणी ने परिवादी से 20 हजार रुपए खुद के लिए और 20 हजार रुपए गिरदावर रविकांत के लिए लिए।

इसके बाद परिवादी के इशारा करने पर एसीबी की टीम मौके पर पहुंची। तहसीलदार लक्ष्मीकांत गुप्ता, जेईएन खेमराज, पटवारी श्रीराम, गिरदावर रुकमणि, रविकांत और विमला को रंगे हाथों गिरफ्तार किया। वहीं विमला के पति दलाल महेश मीणा को बाहर से गिरफ्तार किया।

सात अधिकारियों को निलंबित किया गया था

एसीबी के एक्शन के बाद जेडीसी मंजू राजपाल ने 7 अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित कर अपने मूल विभाग में भेज दिया था। साथ ही लंबे समय से तैनात जोन उपायुक्त के कामकाज में भी बदलाव किया गया था। डीआईजी एसीबी डॉ.रवि ने बताया- रिश्वत लेने और देने के संबंध में एसीबी के पास पूरे सबूत हैं। एसीबी गोपनीय तरीके से शिकायत मिलने के बाद सत्यापन करती है। एक बार सत्यापन होने के बाद कई टीमें केस में एक साथ काम करती हैं।

JDA के घूसखोर बोले- पैसा ऊपर तक जाता है:ऑफिस में रिश्वत लेते हुए पकड़े गए थे, उपायुक्त सहित 7 अधिकारी-कर्मचारी निलंबित

जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) ऑफिस के घूसखोर तहसीलदार, जेईएन, पटवारी समेत 6 अधिकारियों और 1 दलाल ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की पूछताछ में उन्होंने कहा कि यह काम (रिश्वतखोरी) सालों से चलता आ रहा है।

Sanjeevni Today
Author: Sanjeevni Today

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