PCOS Symptoms: PCOS यानी पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम…एक ऐसी बीमारी, जिसकी चपेट में आज दुनियाभर की करीब 116 मिलियन महिलाएं हैं. WHO की एक रिपोर्ट के मुताबिक, PCOS एक ऐसी सामान्य स्थिति है, जो महिलाओं में एक उम्र के बाद दिखने लगती है. यह एक हार्मोनल स्थिति है, जो महिलाओं के अंडाशय को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है.
इसकी वजह से महिलाओं में पीरियड की समस्या होने लगती है, एक्ट्रा एण्ड्रोजन और पॉलीसिस्टिक अंडाशय हो जाता है, जिसमें अंडाशय बड़े हो जाते हैं. इसमें कई द्रव से भरे थैली होती है, जिन्हें सिस्ट कहते हैं. आइए जानते हैं महिलाओं में PCOS की समस्या होने पर उनके फेस पर किस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं.
महिलाओं के फेस पर दिखते हैं PCOS के लक्षण
पीसीओएस के वैसे तो कई लक्षण (PCOS symptoms) होते हैं. इनमें से कुछ सबसे पहले चेहरे पर दिखने लगते हैं. महिलाओं में एण्ड्रोजन या पुरुष हार्मोन के हाई लेवल होने पर चेहते पर इसके संकेत मिल जाते हैं. एण्ड्रोजन पीसीओएस से संबंधित मुंहासे को जन्म देता है. ये अत्यधिक मात्रा में सीबम का उत्पादन करने के लिए त्वचा की ग्रंथियों को चलाने का काम करते हैं. ये तैलीय पदार्थ होते हैं. इसका मतलब अगर किसी महिला के चेहरे के ठुड्डी और ऊपरी गर्दन के आस-पास मुंहासे हो रहे हैं तो ये पीसीओएस के लक्षण हो सकते हैं.
PCOS का इलाज कैसे कर सकते हैं
अगर कोई महिला PCOS की समस्या से परेशान हैं तो सबसे पहले उन्हें अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करना चाहिए. अगर वजन बढ़ रहा है तो उस पर कंट्रोल करना भी सबसे ज्यादा जरूरी होता है. अपनी दिनचर्या में एक्सरसाइज और पौष्टिक-संतुलित आहार शामिल कर इस समस्या से निजात पा सकती हैं.
हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, ऐसी महिलाओं जो पीसीओएस से जूझ रही हैं, उन्हें फल और सब्जियां ज्यादा से ज्यादा खानी चाहिए. इन सबसे अलावा पीसीओएस का इलाज (PCOS Treatment) के लिए डॉक्टर की सलाह लेना न भूलें.
Fitness tips: रहेंगे बिल्कुल फिट और सेहतमंद…….’अपना लें ये 12 आदतें…….’
PCOD की वजह से क्या-क्या समस्याएं हो सकती हैं
1. पीसीओडी से ओवरी में छोटे-छोटे सिस्ट यानी गांठ बन जाती है, जिसकी वजह से गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है. जिससे पीसीओडी बांझपन का कारण बन जाती है.
2. इस बीमारी के कारण महिलाओं में इंसुलिन रेजिस्टेंस होता है. जिसकी वजह से उनकी सेल्स इंसुलिन सही तरह से इस्तेमाल नहीं हो पाती है. जिससे शरीर में इंसुलिन डिमांड बढ़ जाती है.
3. जब शरीर में इंसुलिन की मांग ज्यादा होती है तब पैनक्रियाज ज्यादा इंसुलिन बनाता है. एक्स्ट्रा इंसुलिन बनने से मोटापे की समस्या होने लगती है.
4. जब मोटापा बढ़ता है तो स्लीप एप्निया का रिस्क रहता है. इस कारण रात में सांस लेने में बार-बार रुकावट आती है, जिससे नींद में बाधा आ सकती है.
5. स्लीप एपनिया उन महिलाओं में ज्यादा होता है, जिनमें वजन ज्यादा होता है, खासकर उन्हें अगर पीसीओएस भी है. जिनमें मोटापा और पीसीओडी दोनों हैं, उनमें स्लीप एपनिया का रिस्क उन महिलाओं के मुकाबले 5 से 10 गुना ज्यादा है. जिन्हें पीसीओडी नहीं है.
6. पीसीओडी से हार्मोनल इंबैलेंस और अनचाहे बालों के बढ़ने जैसे लक्षण मानसिक सेहत पर बुरा असर डालते हैं. इससे महिलाएं एंग्जाइटी और डिप्रेशन की चपेट में आ जाती हैं.
PCOD की पहचान कैसे होती है
डॉक्टरों का कहना है कि आमतौर पर उन महिलाओं में पीसीओडी की समस्या की पहचान होती है, जिनमें तीन लक्षणों में से कम से कम दो नजर आ रहे हों. ये तीन लक्षण हाई एंड्रोजन लेवल,
समय पर पीरियड्स का न आना और ओवरी में सिस्ट यानी गांठ पड़ना है. ऐसा होने पर पैल्विक जांच होती है. इसके अलावा कई टेस्ट किए जाते हैं. जिनमें कोलेस्ट्रॉल, इंसुलिन और ट्राइग्लिसराइड टेस्ट होते हैं. एक अल्ट्रासाउंड भी डॉक्टर करवाते हैं, जिससे अंडाशय और गर्भाशय की जांच की जाती है.