लोकसभा के चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी की करारी के बाद से कई तरह की अटकलें हवाओं में तैर रही हैं. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी की सरकार में अंदरखाने सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. लोकसभा चुनाव में हार के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली को लेकर कई तरह के सवाल उठ खड़े हुए हैं. ये सवाल और कहीं से नहीं बल्कि खुद बीजेपी सरकार और संगठन के भीतर से ही उठ रहे हैं. सबसे पहले असंतोष की आवाजें बीजेपी की राज्य कार्यसमिति की बैठक के दौरान सामने आईं. जिनमें सरकार और संगठन के बीच सामंजस्य की कमी को लेकर सवाल उठाए गए.
इस बैठक में योगी आदित्यनाथ ने साफ कहा कि सरकार की नीतियों को लेकर फिलहाल पीछे हटने की कोई जरूरत नहीं है. बैकफुट पर जाने की जगह आगे बढ़कर सरकार की नीतियों को जनता तक पहुंचाने के काम में कार्यकर्ताओं को आगे बढ़कर लगना होगा. इसके बाद ही योगी सरकार ने अपने पुराने फैसलों को पलटने का काम किया. योगी आदित्यानाथ ने अफसरों के साथ एक बैठक की और घोषणा हुई कि पंतनगर, खुर्रमनगर, अबरार नगर समेत कुकरैल नदी के किनारे बने घर नहीं तोड़े जाएंगे. इस फैसले से संकट में फंसे लोगों ने राहत की सांस ली है.
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योगी सरकार में इस वक्त 2 डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक शामिल हैं. बताया जाता है कि इन दोनों डिप्टी सीएम के साथ सीएम योगी के संबंध काफी हद तक असहज हैं. अभी हाल ही में बीजेपी की राज्य कार्यसमिति की बैठक में मौर्य ने कहा कि संगठन हमेशा ही सत्ता से बड़ा होता है. इसके बाद भी कई तरह की अटकलें लगाई जाने लगीं कि मौर्य को सरकार से संगठन में भेजा जाएगा. इसके बैठक के ठीक बाद मौर्य ने दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ मुलाकात की.
वहीं सीएम योगी ने एक बड़ा फैसला लेते हुए राज्य में होने वाले 10 विधानसभा उपचुनावों की तैयारियों के लिए 30 मंत्रियों की एक टीम बना दी. मगर उसमें उनके दोनों डिप्टी सीएम शामिल नहीं हैं. इस बात ने भी यूपी में अटकलों के एक नए दौर को जन्म दिया है. अब सबसे बड़ी बात ये देखने वाली होगी कि इस पूरे एपिसोड में बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व का क्या रुख रहता है.