IAS Puja Khedkar Case: 2023 बैच की महाराष्ट्र कैडर के ट्रेनी IAS अधिकारी पूजा खेडकर लगातार विवादों में घिरती जा रही हैं। सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए फर्जी दिव्यांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाण पत्र का इस्तेमाल करने की आरोपी खेडकर के बारे में अब एक नया खुलासा हुआ है। इसके मुताबिक, दो साल पहले यानी 2022 में पूजा खेडकर ने दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी करने के लिए आवेदन दिया था लेकिन डॉक्टरों की टीम (मेडिकल बोर्ड) ने उनके दावे को खारिज कर दिया था और कहा था कि उनके द्वारा बताई गई बीमारी और उनका परीक्षण करने के बाद, आवेदन खारिज किया जाता है।
NDTV की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूजा खेडकर ने अगस्त 2022 में पुणे से विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था, लेकिन डॉक्टरों की टीम ने उनकी जांच करने के बाद उनके दावे को खारिज कर दिया था और उनके आवेदन के जवाब में कहा था कि “यह संभव नहीं है”।
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मेडिकल बोर्ड ने पूजा खेडकर के दावे को खारिज करते हुए जो चिट्ठी लिखी थी उसमें कहा गया है कि आपने विकलांगता प्रमाण पत्र जारी करने के लिए दिनांक 23/08/2022 को आवेदन दिया था। उसके संदर्भ में आपको सूचित किया जाता है कि आप के द्वारा बताई गई बीमारी लोकोमोटर विकलांगता (जो मस्तिष्क पक्षाघात या हड्डियों या मांसपेशियों को प्रभावित कर सकती है और पैरों या बाहों के कार्यकलाप को बाधित कर सकती है) की मेडिकल टीम द्वारा 11/10/2022 को जांच की गई। मेडिकल बोर्ड ने आपके दावे को उचित नहीं माना है। इसलिए आपके पक्ष में विकलांगता प्रमाण पत्र जारी करना संभव नहीं है।
बता दें कि यह दूसरा मौका था, जब पूजा खेडकर की दिव्यांगता संबंधी प्रमाण पत्र जारी करने के आवेदन को खारिज किया गया था। इससे पहले उन्होंने अहमदनगर जिले से विकलांगता प्रमाण पत्र जारी करने की कोशिश की थी लेकिन वहां भी वह विफल रही थीं।
इस बीच, पूजा खेडकर के पिता और पूर्व ब्यूरोक्रेट्स दिलीप खेडकर ने रविवार को अपनी बेटी का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने कुछ भी गैरकानूनी नहीं किया है। पूजा हाल ही में तब सुर्खियों में आईं जब उन्होंने पुणे में अपनी तैनाती के दौरान कथित तौर पर अलग ‘केबिन’ और ‘स्टाफ’ की मांग की थी और उसके बाद उनका अचानक वाशिम जिले में तबादला कर दिया गया।
इसके बाद उन पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) (आठ लाख रुपये से कम वार्षिक आय) और दृष्टिबाधित श्रेणियों के तहत सिविल सेवा परीक्षा देकर और मानसिक बीमारी का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करके आईएएस में स्थान प्राप्त करने के आरोप लगे। उनके पिता और महाराष्ट्र सरकार के पूर्व अधिकारी दिलीप खेडकर ने रविवार को एक मराठी समाचार चैनल से कहा कि वह वास्तव में गैर समृद्ध वर्ग (नॉन-क्रीमी लेयर) से संबंध रखते हैं।
दिलीप खेडकर ने लोकसभा चुनाव लड़ा था और उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में 40 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी। उन्होंने कहा कि यदि सीमित साधनों वाला कोई व्यक्ति चार से पांच एकड़ जमीन का मालिक है, तो मूल्यांकन से पता चल सकता है कि उसकी संपत्ति कई करोड़ रुपये है। दिलीप ने कहा, “हालांकि समृद्ध वर्ग (क्रीमी लेयर) के रूप में वर्गीकरण (संपत्ति) मूल्यांकन के बजाय आय पर निर्भर करता है।”
दिलीप ने कहा, “उसने (पूजा ने) सरकारी काम के लिए ‘लग्जरी’ कार का इस्तेमाल किया क्योंकि कोई सरकारी वाहन उपलब्ध नहीं था। उसने प्रशासन में अपने वरिष्ठों से उचित अनुमति लेकर ऐसा किया। कार उसके रिश्तेदार की है। उसने उस पर लालबत्ती लगाकर किसी को धोखा नहीं दिया।’’ पूजा के खिलाफ आरोपों में से एक यह है कि जब एक वरिष्ठ अधिकारी ने उन्हें अपने कार्यालय के रूप में अपना पूर्व कक्ष उपयोग करने की अनुमति दी, तो उन्होंने पुणे कार्यालय में उस वरिष्ठ अधिकारी की ‘नेमप्लेट’ हटा दी थी।
दिलीप ने कहा, “उसने अपने वरिष्ठ से उचित अनुमति लेकर केबिन का इस्तेमाल किया। क्या ऐसा कहीं लिखा है कि एक युवा ‘इंटर्न’ महिला आईएएस को अलग केबिन नहीं दिया जाना चाहिए? अगर ऐसा लिखा है, तो मैं उसे नौकरी से इस्तीफा दिलवा दूंगा।” दिव्यांगता प्रमाण पत्र के दुरुपयोग के आरोपों के बारे में, दिलीप ने कहा कि सरकार एक मानक स्थापित करती है ताकि किसी व्यक्ति की विकलांगता का निर्धारण किया जा सके और उनकी बेटी उन मानदंडों को पूरा करती है।