मेडिकल एंट्रेस NEET पेपर लीक पर करीब 38 सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ने कहा कि पेपर लीक हुआ है। CJI ने कहा, “ये तो साफ है कि पेपर लीक हुआ है। लीक कितने बड़े स्तर पर हुआ इस पर हम विचार कर रहे हैं। लीक पर विवाद नहीं किया जा सकता। हम इसके परिणामों पर विचार कर रहे हैं।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि NTA, केंद्र और CBI के हलफनामे बुधवार, 10 जुलाई को शाम 5 बजे तक रिकॉर्ड पर रखे जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 11 जुलाई को तय की है।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने NTA से उन अभ्यर्थियों की पहचान करने को कहा, जिन्हें NEET-UG पेपर लीक से फायदा पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने NTA से उन सेंटर और शहरों की पहचान करने को भी कहा, जहां पेपर लीक हुआ था।
इसी के साथ CJI ने ये भी कहा कि याचिकाकर्ताओं के सभी वकील जो दोबारा परीक्षा कराना चाहते हैं। वो सब एक साथ मिल कर गुरुवार से पहले एक ज्वाइंट सबमिशन दाखिल करें, जो 10 पेज से ज्यादा न हो।
कौन-कौनसी याचिका पर हुई सुनवाई?
सुनवाई के दौरान वकील ने भी माना कि NEET UG प्रश्न पत्र 5 मई को टेलीग्राम ऐप पर वायरल हो रहा था। 5 मई को आयोजित परीक्षा में पेपर लीक मामले की रिपोर्ट के बाद उम्मीदवारों ने विरोध प्रदर्शन किया था। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की सुप्रीम कोर्ट की बेंच याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में परीक्षा रद्द करने, NTA को दोबारा परीक्षा कराने का आदेश देने, अनियमितताओं के संबंध में न्यायालय की निगरानी में जांच किए जाने का अनुरोध किया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने NTA को परीक्षा रद्द करने से रोकने का अनुरोध करने वाली गुजरात के 50 से ज्यादा सफल परीक्षार्थियों की याचिका पर भी सुनवाई की।
कुछ याचिकाकर्ताओं के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से दोबारा परीक्षा कराए जाने का अनुरोध करते हुए शीर्ष अदालत से कहा कि कसूरवार और बेकसूरों की पहचान करना संभव नहीं है।
CJI ने क्यों कहा- दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा
सुनवाई के दौरान CJI ने कहा, अगर परीक्षा की पवित्रता नष्ट हो जाए तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना पड़ता है। अगर हम दोषियों की पहचान करने में असमर्थ हैं, तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ ध्यान देने वाली बातें हैं, 67 उम्मीदवार 720 में से 720 अंक प्राप्त कर रहे हैं, जबकि पिछले सालों में यह रेश्यो बहुत कम था।
CJI ने कहा अगर प्रश्नपत्र Telegram, WhatsApp और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से लीक होता है, तो यह जंगल की आग की तरह फैलता है। यह साफ है कि प्रश्नपत्र लीक हुआ है।
जो हुआ उसे हमें नकारना नहीं चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि कितने गलत काम करने वाले आरोपियों के परिणाम रोके गए हैं? हम ऐसे उम्मीदवारों की सभी जरूरी डिटेल जानना चाहते हैं।
अदालत ने सरकार से ये भी पूछा, “यह मानते हुए कि सरकार परीक्षा रद्द नहीं करेगी, तो फिर वो प्रश्न पत्र लीक के लाभार्थियों की पहचान करने के लिए क्या करेगी?”
चीफ जस्टिस ने कहा, “जो हुआ उसे हमें नकारना नहीं चाहिए।”
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि उसे बताया गया कि FIR पटना, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और झारखंड में दर्ज की गईं। शीर्ष अदालत का कहना है कि क्या पेपर लीक से जुड़ी FIR केवल पटना तक ही सीमित है, यह एक ऐसा मामला है जिस पर विस्तृत विचार की जरूरत है।