पिछले कुछ दिनों से बिहार (Bihar) में लगातार पुल ढहने की घटनाएं सामने आई हैं. अब सियासी गलियारों में भी इस पर बयानबाजी शुरू हो गई है. विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने राज्य सरकार पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया है कि आपराधिक लापरवाही की वजह से उत्तर बिहार के कई जिलों में एक दर्जन पुल ढह गए हैं. जबकि अधिकारी लगातार यह दावा कर रहे हैं कि यह संभवतः राज्य भर में नदियों में चलाए गए गाद हटाने के अभियान का नतीजा है.
सूबे में कब-कब गिरे पुल?
- 18 जून: अररिया
- 22 जून: सीवान
- 23 जून: पूर्वी चंपारण
- 27 जून: किशनगंज
- 28 जून: मधुबनी
- 1 जुलाई: मुजफ्फरपुर
- 3 जुलाई: सीवान में तीन और सारण में दो
- 4 जुलाई: सारण
बिहार के सारण जिले में बुधवार और गुरुवार को दो दिनों के अंदर तीन पुल ढह गए. इनमें से दो पुल बुधवार को गंडक नदी पर एक किलोमीटर की दूरी पर बमुश्किल दो घंटे के अंतराल पर ढह गए. एक पुल जनता बाजार थाना इलाके में दूधनाथ मंदिर के पास था, जिसका निर्माण 2004 में तत्कालीन विधायक धूमल सिंह की अनुशंसा पर किया गया था जबकि दूसरा पुल ब्रिटिश काल का था. तीसरा पुल गुरुवार सुबह सारण में ढह गया. सारण के गांवों को पड़ोसी सिवान जिले से जोड़ने वाले गंडकी नदी पर बने 15 साल पुराने पुल के ढहने की घटना में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.
25 लाख रुपए में बना पुल गिरा
साल 2011 में तत्कालीन एनडीए सरकार के शासन में बने बांके नदी पर पुरंदाहा राजबाड़ा और दलकावा नरकटिया इंदरवा को जोड़ने वाले पुल का एक पिलर क्षतिग्रस्त हो गया. यह पुल ग्रामीण इलाकों को सोनबरसा ब्लॉक मुख्यालय से जोड़ने के लिए 25 लाख रुपये की अनुमानित लागत से बनाया गया था. गौरतलब है कि बसंतपुर गांव के पास एक और डायवर्सन भी क्षतिग्रस्त हो गया था, जिसकी वजह से स्थानीय यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
27 से 30 जून के बीच गिरे 2 पुल
किशनगंज में 27 जून से 30 जून के बीच लगातार दो पुल ढह गए. ऐसी ही एक घटना ठाकुरगंज के खोशी डांगी गांव में हुई, जहां 27 जून को भारी बारिश और उसके बाद नदी में पानी का बहाव बढ़ने से तत्कालीन सांसद तस्लीमुद्दीन की निधि से बने पुल का पिलर क्षतिग्रस्त हो गया. स्थानीय मुखिया जवाहर सिंह ने बताया कि इससे करीब 50,000 लोग प्रभावित हुए हैं.
किशनगंज के बहादुरगंज में श्रवण चौक के पास मारिया नदी पर एक और पुल क्षतिग्रस्त होने की खबर है. यह पुल एनडीए शासन के दौरान 2011 में राज्य ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा 25 लाख रुपए की अनुमानित लागत से बनाया गया था.
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1.5 करोड़ रुपए का पुल
पूर्वी चंपारण के घोड़ासहन ब्लॉक के अंतर्गत एक और निर्माणाधीन पुल ढह गया. निर्माण कार्य Dheerendra Construction Company के द्वारा 1.5 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से किया जा रहा था. स्थानीय लोगों ने इस पर गैर-जिम्मेदाराना निर्माण का आरोप लगाया.
1 जुलाई को मुजफ्फरपुर जिले के औराई प्रखंड में बागमती नदी पर बांस से बना एक अस्थायी पुल क्षतिग्रस्त हो गया था, जिसके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे. स्थानीय लोगों का दावा है कि वे हर साल अपने खर्च पर अस्थायी पुल बनाते हैं, जो इस मौसम में क्षतिग्रस्त हो जाते हैं. उन्हें वास्तव में सभी मौसमों के लिए उपयुक्त संरचना की जरूरत है.
सीवान में गिरे 3 जुलाई को 3 पुल
सीवान जिले के महाराजगंज प्रखंड में 3 जुलाई को एक ही दिन में तीन पुल ढह गए, जिसके वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए. एक पुल सिकंदरपुर गांव में, दूसरा देवरिया पंचायत में और तीसरा भीखाबांध में ढहा. ये सभी पुल तत्कालीन सांसद प्रभुनाथ सिंह के फंड से बने थे और तीस साल से भी ज्यादा पुराने हैं.
बिहार के अररिया में बकरा नदी पर निर्माणाधीन पुल 18 जून को ढह गया. इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत मई, 2021 में करीब 8 करोड़ रुपए थी और इसे 2023 तक पूरा होना था. स्थानीय लोगों का दावा है कि इसके रोड के निर्माण को पूरा करने के लिए कुछ और फंड की जरूरत थी, जिसके बिना यह बेकार हो गया. दावा किया जाता है कि देरी और घटिया निर्माण से 2 लाख से ज्यादा की आबादी सीधे तौर पर प्रभावित हुई है.