चैत्र नवरात्र का शुभारंभ हो चुका है. यह पर्व माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा हेतु मुख्य रूप से समर्पित है. इस वर्ष इसकी शुरुआत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को हुई है, जो भगवान राम के जन्मोत्सव राम नवमी के साथ संपन्न होगी. आज हम आपको तिथि के अनुसार माता रानी के विभिन्न रूपों की पूजा हेतु कुछ मुख्य जानकारी देने वाले हैं, जिसका अनुसरण करने से आपकी पूजा झट से स्वीकार होगी और आपके मन के साथ-साथ परिवार में भी सकारात्मक माहौल का संचार होगा.
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तिथि के अनुसार लगाएं भोग
पहली तिथि से लेकर दशमी तक, नवरात्र की तिथि के अनुसार माता रानी के नौ रूपों की पूजा हेतु ज्योतिषाचार्य शिवेन्द्र पांडे ने दुर्गा सप्तशती जैसे ग्रंथों के माध्यम से कुछ विशेष जानकारी साझा की है. पंडित शिवेन्द्र पांडे ने बताया कि नवरात्र के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा के समय व्रतियों को भोग के रूप में गाय का दूध अर्पित करना चाहिए. दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री का भोग लगाना चाहिए. तीसरे दिन मां चंद्रघंटा को गाय के घी का भोग लगाएं.
चौथे दिन मां कुष्मांडा को मालपुआ का भोग लगाएं. हालांकि, कुछ घरों में नवमी तिथि से पहले ऐसे खाद्य सामग्रियों को नहीं बनाया जाता है, जिसे तलना पड़े. मालपुआ भी ऐसी ही खाद्य सामग्री है. ऐसे में आप केले या खोए से बने सामग्रियों को अर्पित कर सकते हैं. पंचमी तिथि के दिन स्कंदमाता को केले का भोग लगाएं. षष्ठी तिथि को माता कात्यायनी को शहद का भोग लगाएं. ठीक इसी प्रकार सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि को गुड़ का भोग लगाएं.
आठवें दिन मां महागौरी को नारियल का भोग लगाएं. नवमी तिथि मां सिद्धिदात्री को धान या मखाने से बनी सामग्री का भोग लगाएं और दसवें दिन विजयदशमी को तिल या उससे बनी सामग्री का भोग लगाएं.
इन पुष्पों को करें अर्पित, पूजा के वक्त पहने इस रंग के कपड़े
आचार्य शिवेन्द्र पांडे की मानें तो तिथि के अनुसार भोग लगाने के अलावा माता के नौ रूपों को विभिन्न पुष्पों का चढ़ावा भी चढ़ाना चाहिए. मां शैलपुत्री को लाल रंग के पुष्प जैसे: अड़हुल, मां ब्रह्मचारिणी को सफेद फूल जैसे बेली और चमेली, मां चंद्रघंटा को पीले कनेर का फूल,मां कुष्मांडाको कमल का फूल अर्पित करें. पांचवे दिन स्कंदमाता को लाल गुलाब का फूल, छठे दिन मां कात्यायनी को लाल अड़हुल का फूल और सातवें दिन मां कालरात्रि को अपराजिता का फूल अर्पित करें.
इसी तरह से आठवें दिन मां महागौरी को कमल या अड़हुल का फूल अर्पित करें तथा नौवें दिन मां सिद्धिदात्री को अपराजिता तथा लाल अड़हुल का पुष्प अर्पित करें. बकौल आचार्य, व्रतियों या पूजा पर बैठने वाले को अनिवार्य रूप से लाल या गेरुवा वस्त्र धारण करना चाहिए.