हे अस्तित्व के पुत्र ! स्वयं को सांसारिकता में लिप्त न रख, क्योंकि अग्नि से हम स्वर्ण की और स्वर्ण से हम अपने सेवक की परीक्षा लेते हैं।
Author: Sanjeevni Today
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हे अस्तित्व के पुत्र ! स्वयं को सांसारिकता में लिप्त न रख, क्योंकि अग्नि से हम स्वर्ण की और स्वर्ण से हम अपने सेवक की परीक्षा लेते हैं।
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