जयपुर जिले के मनोहरपुर इलाके में मंगलवार को प्राइवेट स्लीपर बस में हाईटेंशन बिजली के तारों के संपर्क में आने के बाद लगी भीषण आग में 3 लोगों की मौत हो गई और 10 अन्य घायल हो गए. इस हादसे ने यह खुलासा किया है कि किस तरह नियमों का उल्लंघन कर रही यह बस 529 किलोमीटर का सफर तय कर गई, लेकिन किसी जिम्मेदार ने इसे रोका तक नहीं.
जयपुर में आग का गोला बनी बस ने देश के परिवहन व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है. उत्तरप्रदेश के पीलीभीत से आई इस बस का ऑल इंडिया परमिट 21 अप्रैल को ही खत्म हो गया था. सड़क पर चलने वाला टैक्स सितंबर में खत्म हो गया था. 40 बार इस बस का चालान ओवरलोड और हाईस्पीड का हो चुका है. फिर भी ये सड़क पर चल रही थी.
पीलीभीत से 529 किलोमीटर का सफर कर बस जयपुर तक आ गई, मगर किसी ने जिम्मेदार ने रोका तक नहीं. छत पर निर्धारित उंचाई से 4 फीट तक 10 सिलेंडर और बाइक लदे थे, पर किसी ने चेक नहीं किया. यूपी और राजस्थान के रास्ते में दोनों राज्यों के 9 आरटीओ के इलाके से बस गुजरी थी.
हादसे के बाद कार्रवाई करते हुए राजस्थान सरकार ने आरटीओ गौतम मिश्रा रामचंद्र और पुष्पेंद्र भारद्वाज को एपीओ किया है. दौसा और भरतपुर के आरटीओ को नोटिस जारी किया है.
vसबसे बड़ी बात है कि परिवहन कानून के अनुसार ओवरलोड पर कोई सख्त कार्रवाई के बजाए केवल 6 हज़ार का जुर्माना है, जिसकी परवाह बस मालिक नहीं करते हैं. बस को मोडिफाई कर स्लीपर बस बनवाया था, जिसकी लंबाई और उंचाई भी बढ़ाई गई थी. इमरजेंसी गेट भी बंद कर दिया था.
वहीं, बिजली विभाग की हाईटेंशन लाइन 19 फीट की उंचाई पर होनी चाहिए थी जो कि महज 15 फीट पर है.
बता दें कि जयपुर जिले के मनोहरपुर इलाके में मंगलवार को प्राइवेट स्लीपर बस में बिजली के तारों के संपर्क में आने के बाद आग लग गई. इस हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई जबकि 10 अन्य घायल हो गए. बस में 50 से ज्यादा मजदूर सवार थे.
राजस्थान में जैसलमेर बस हादसे के बाद एक पखवाड़े के भीतर अपनी तरह का यह दूसरा हादसा है. 14 अक्टूबर को जैसलमेर से जोधपुर जा रही प्राइवेट स्लीपर बस में आग लगने से कई लोगों की जान चली गई थी. जैसलमेर बस अग्निकांड में आग लगने का कारण ‘शॉर्ट सर्किट’ माना गया था.






