विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने फरवरी में भारतीय शेयर बाजारों से 34,574 करोड़ रुपये निकाले हैं। इस तरह 2025 के पहले दो महीनों में FPI की कुल निकासी 1.12 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई। ग्लोबल ट्रेड और कंपनियों की आय को लेकर चिंता के बीच FPI लगातार सेलर बने हुए हैं। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, वॉटरफील्ड एडवायजर्स के सीनियर डायरेक्टर (लिस्टेड इनवेस्टमेंट) विपुल भोवर ने कहा, ‘‘भारतीय शेयरों की हाई वैल्यूएशन और कॉरपोरेट इनकम में वृद्धि को लेकर चिंताओं के कारण FPI लगातार पैसे निकाल रहे हैं।’’
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने फरवरी में भारतीय शेयरों से 34,574 करोड़ रुपये निकाले। इससे पहले जनवरी में FPI ने 78,027 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे। इस तरह 2025 के पहले 2 महीनों में FPI 1,12,601 करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं। दिसंबर 2024 में FPI ने भारतीय शेयरों में 15446 करोड़ रुपये डाले थे।
भोवर ने कहा कि बाजार की हालिया बिकवाली की मुख्य वजह अमेरिका में बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी, अमेरिकी डॉलर में मजबूती और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं हैं। इससे निवेशकों का ध्यान अमेरिकी एसेट्स की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में कंपनियों के नतीजे कमजोर रहे हैं, जो अनिश्चितता के माहौल को दर्शाता है। जिंस कीमतों में गिरावट और उपभोक्ता खर्च में कमी से यह समस्या और बढ़ गई है।
आकर्षक वैल्यूएशन और अच्छी परफॉरमेंस वाले सेक्टर में भी बिकवाली
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी के विजयकुमार का मानना है कि भारत में हाई वैल्यूएशन की वजह से FPI बिकवाली कर रहे हैं। वे अपना पैसा चीन के शेयरों में लगा रहे हैं, जहां वैल्यूएशन कम है। FPI की बिकवाली में एक महत्वपूर्ण विरोधाभास यह है कि वे फाइनेंशियल सर्विसेज में बड़े पैमाने पर बिकवाली कर रहे हैं, जबकि यह क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और इसकी वैल्यूएशन आकर्षक है। इसके अलावा वे डेट या बॉन्ड बाजार से भी पैसा निकाल रहे हैं।
फरवरी महीने में FPI ने बॉन्ड बाजार से जनरल लिमिट के तहत 8,932 करोड़ रुपये और वॉलंटरी रिटेंशन रूट से 2,666 करोड़ रुपये निकाले। FPI का 2024 में भारतीय बाजार में निवेश काफी कम होकर 427 करोड़ रुपये रहा था। इससे पहले 2023 में उन्होंने भारतीय बाजार में 1.71 लाख करोड़ रुपये डाले थे, जबकि 2022 में 1.21 लाख करोड़ रुपये की निकासी की थी।
