COVID 19: कोरोना से पीड़ित व्यक्ति से कितने दिनों तक रहता है दूसरों को खतरा, जानें क्या कहता हैं रिसर्च

नई दिल्ली। पूरा विश्व कोरोना की चपेट में आ चूका है। लगभग हर देश इससे परेशान है। हर दिन इसके नए मामले सामने आ रहे हैं, वहीं कई लोगों की इससे मौत भी हो रही है। कोरोना की अब तक वैक्सीन नहीं बन पाई है, इस पर लगातार काम चल रहा है तो इससे बचने का एकमात्र तरीका है सावधान रहना, सतर्क रहना और एहतियात बरतना।
कोरोना मरीजों को अलग-थलग रखा जाता है जिससे कि किसी स्वस्थ इंसान को संक्रमण अपनी चपेट में न ले ले। कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों से कितने दिन तक स्वस्थ इंसान को खतरा रह सकता है, ये बड़़ा सवाल था जिसका समाधान अब वैज्ञानिकों ने तलाश लिया है। रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि कोरोना वायरस की जद में आने के 11 दिन बाद ज्यादातर मरीजों से दूसरे मरीजों में संक्रमण फैलने का खतरा न के बराबर हो जाता है। सिंगापुर स्थित राष्ट्रीय संक्रामक रोग केंद्र (एनसीआईडी) के हालिया अध्ययन में यह दावा किया गया है।
जानकारी के अनुसार शोधकर्ताओं द्वारा अलग-अलग अस्तपालों में भर्ती 73 संक्रमितों से वायरस के प्रसार का खतरा आंका गया। उन्होंने पाया कि लक्षण उभरने के सात दिन तक तो मरीज में वायरस की संख्या बढ़ने और हवा में उसका प्रसार होने की आशंका बहुत अधिक रहती है लेकिन आठवें से दसवें दिन के भीतर यह वायरस कमजोर पड़ने लगता है और 11वां दिन बीतते-बीतते पूरी तरह से नष्ट हो जाता है।
सूत्रों के मुताबिक एनसीआईडी के निदेशक प्रोफेसर लियो यी सिन कहते हैं, ताजा अध्ययन दर्शाता है कि संक्रमण के लक्षण उभरने के 11 दिन बाद मरीज और लोगों के लिए खतरनाक नहीं रह जाता है। ऐसे में गृह मंत्रालय चाहे तो कोरोना संक्रमितों को अस्पताल से छुट्टी देने के नियम में बदलाव कर सकता है। उन्होंने दावा किया कि अगर गृह मंत्रालय शोध के नतीजों पर यकीन कर डिस्चार्ज नियम बदलता है तो तकरीबन 80 फीसदी संक्रमितों को सर्दी, जुकाम, बुखार जैसे लक्षण सामने आने के 11 दिन बाद ही घर भेजना मुमकिन होगा।
गंभीर मरीज भी नहीं रहते संक्रामक
रिसर्च में शामिल डॉक्टर अशोक कुरूप की मानें तो शोध के नतीजे बेहद सटीक हैं। इन्हें कोविड-19 से जूझ रहे ज्यादातर मरीजों पर लागू करना सुरक्षित है, फिर चाहे वे गंभीर रूप से ही संक्रमित क्यों न हों। हालांकि, गंभीर रूप से बीमार मरीजों को लंबे समय तक सघन चिकित्सा की जरूरत पड़ती है। इसलिए अलग रखने की आवश्यकता न होने के बावजूद उन्हें 11 दिन बाद छुट्टी देना मुनासिब नहीं रहेगा क्योंकि वे दूसरों में संक्रमण भले ही न फैलाएं, लेकिन उनकी खुद की जान को खतरा हो सकता है।
कोरोना का मरीज 11वें दिन और लोगों तक संक्रमण नहीं फैला सकता, ये बात जर्मन शोध भी साबित कर चुकी है। जर्मनी में कोरोना से संक्रमित नौ मरीजों पर हुए शोध में भी कुछ ऐसे ही नतीजे देखने को मिले थे। संक्रमित होने के पहले हफ्ते में तो मरीज के गले-फेफड़ों में वायरस की संख्या तेजी से बढ़ती मिली। हवा में वायरस का प्रसार भी बहुत ज्यादा पाया गया, हालांकि, आठवें दिन से ये दोनों ही प्रक्रियाएं धीमी पड़ गईं।
जर्मन शोध भी कुछ यही बयां करता है
जर्मनी में कोरोना से संक्रमित नौ मरीजों पर हुए शोध में भी कुछ ऐसे ही नतीजे देखने को मिले थे। संक्रमित होने के पहले हफ्ते में तो मरीज के गले-फेफड़ों में वायरस की संख्या तेजी से बढ़ती मिली, हवा में वायरस का प्रसार भी बहुत ज्यादा पाया गया, हालांकि, आठवें दिन से ये दोनों ही प्रक्रियाएं धीमी पड़ गईं।
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