Corona virus: क्या Covid 19 व खून का थक्का जमने का कोई संबंध है? जानें क्या कहते हैं जानकार

डेस्क। कोरोना वायरस के खौफ से अभी पूरी दुनिया कांप ही रही है। लाख कोशिश के बाद भी काबू नहीं हो रहा हैं। और कोरोना के मामले तेजी से बढ़ते ही जा रहे हैं। चीन के वुहान शहर से शुरू हुए इस वायरस के संक्रमण को लेकर दुनियाभर के अलग-अलग देशों में कई रिसर्च हो रही हैं। मेडिकल जर्नल रेडियोलॉजी में भी इस महामारी के बारे में लगातार जानकारी प्रकाशित हो रही है। ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना वायरस व खून के थक्के जमने का कोई संबंध होने कि सम्भावना है। भिन्न-भिन्न रिपोर्ट टीम ने बताया है कि बड़ी संख्या में कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों में खून का थक्का जमने की स्थिति पाई गई है। कोरोना वायरस से बड़ी संख्या में लोगों के मरने के पीछे एक कारण यह भी होने कि सम्भावना है।
रेडियोलॉजी में प्रकाशित अध्ययनों के मुताबिक, कोविड-9 का शिकार होने वालों में निमोनिया, श्वास रुकना व इसके कारण जरूरी अंगों का कार्य बंद कर देना मृत्यु के कारण रहे हैं। इसमें मरीज की आयु व शरीर में पहले उपस्थित बीमारियां भी अहम किरदार निभाती हैं। वहीं बड़ी संख्या में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजो की मृत्यु के पीछे खून का थक्का जमने का कारण भी पता चला है। खून के थक्कों यानी ब्लड क्लॉट का बहुत से मरीजों में मिलने डॉक्टर एक बड़े खतरे का संकेत मान रहे है। इससे मरीजों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है।
जानिए क्या है ब्लड क्लॉटिंग
खून का थक्का जमने को डॉक्टरी भाषा ब्लड क्लॉटिंग बोला जाता है। ब्लड क्लॉट यानी खून का थक्का बनना अच्छा माना जाता है, क्योंकि चोट लगने पर इसकी वजह से ही खून का बहना रुकता है। लेकिन जब यही क्लॉट शरीर के अंदर बनता है व इसे बाहर निकलने की स्थान नहीं मिलती है, तो यह जानलेवा साबित होने कि सम्भावना है। यह शरीर में रक्त के प्रवाह को बाधित करता है जो जानलेवा हो जाता है।
जानकारी के अनुसार शरीर में उपस्थित विशेष प्रकार के प्रोटीन के कारण खून जमता या रुकता है। कई मामलों में इसके पीछे वंशानुगत कारण भी होते हैं। ब्लड क्लॉट की स्थिति में शरीर में कई समस्याएं हो सकती हैं। ब्लड क्लॉट से हार्ट अटैक, पैरालिसिस होने का खतरा बढ़ जाता है।
कोरोना वायरस के उपचार में व मुश्किल
जानकारी के अनुसार आपको बता दें की संसार में अभी कोरोना वायरस का उपचार नहीं मिला है। अभी चिकित्सक लक्षणों का उपचार कर रहे हैं जैसे सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार, गले में दर्द व श्वास संबंधी समस्या के लिए भिन्न-भिन्न दवाएं दी जा रही हैं।
सूत्रों के अनुसार, यूके में यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग के वैज्ञानिकों का बोलना है कि खून का थक्का जमने के लक्षण भी कोरोना वायरस के दौरान नजर आते हैं, तो इससे उपचार कठिन होगा. इनका मानना है कि वायरस इन्फेक्शन का प्रभाव ब्लड क्लॉटिंग पर होने कि सम्भावना है। खून के जरिए ये ब्लड क्लॉट्स फेफड़ों तक जा सकते हैं, दशा को व कठिन बना सकते हैं। हालांकि, इन वैज्ञानिकों का यह भी बोलना है कि यह बहुत शुरुआती रिपोर्टस् हैं। अभी कुछ ही मरीजों पर इसका अध्ययन किया गया है. साथ ही डॉक्टरों से बोला गया है कि कोरोना संक्रमण के संदिग्धों में डी-डिमेर लेवल की जाँच भी की जाए. यदि खून के थक्के जमने की संभावना नजर आए तो समय रहते मरीज को उपचार दिया जाए।
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डॉक्टरों का मानना है कि इस विषय पर जल्दी से शोध किए जाने की जरूरत है. जिसमें खास तौर पर यह देखा जाना जरूरी है कि क्या खून पतला करने वाली दवाएं कोविड-19 मरीजों के लिए सहायक हो सकती हैं या नहीं. वहीं क्लॉट की एक वजह यह भी हो सकती है कि इस बीमारी में इम्यून सिस्टम अतिसक्रिय हो जाता है. इससे क्लॉटिंग की आशंका बढ़ सकती है।
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